मुख्य पॉइंट
- सीप की खेती से बदलेगी किसान की किस्मत
- खेती के लिए सरकार देगी अनुदान
- सरकार कराएगी सीप की खेती की ट्रेनिंग
- महज दो लाख रुपये से शुरू होगी मोटी कमाई
- अब किसान बनेगा समृद्ध और शक्तिशाली
जय जवान जय किसान वाली बात हम बचपन से सुनते आ रहे है। लेकिन आज भी देश में किसानों की हालत दयनीय बनी है।
हालांकि सरकार ने किसानों की माली हालत को बदलने के लिए कई योजनाएं चला रखी है।
जिससे एक बड़ा अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है।
जो किसान किस्मत बदलने में मददगार हो सकता है। आज आपके एक ऐसी ही खेती के बारे में बता रहे हैं।
जिससे कम इन्वेस्टमेंट में मोटी कमाई की जा सकती है।
कैसे हो सकता है ये कमाल?
ये रिपोर्ट देखिए –

अगर आप को लगता है कि अच्छी कमाई नहीं हो रही है। तो मोती की खेती में हाथ आजमाना चाहिए।
यह खेती करीब 2 लाख रुपये के निवेश से शुरू हो सकती है। इसके बाद आपको हर माह औसतन 1 लाख रुपये महीने की कमाई हो सकती है।
मोती की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में काफी अधिक है।
इस खेती को करने के लिए जमीन की जगह छोटे से तालाब की जरूरत होती है। जिसमें सीप यानी मोती की खेती की जा सकती है। इसके लिए सरकार की ओर से ट्रेनिंग और लोन की सुविधा भी दी जाती है।
अब आपके दिमाग में ये बात आ रही होगी कि आखिर मोती तैयार कैसे होते हैं।
मोती की खेती शुरू करने के लिए करीब 500 वर्ग फीट का एक तालाब होना चाहिए। जिसमें 100 सीप डालकर मोती की खेती शुरू की जा सकती है। बाजार में सीप की कीमत 15 रुपये से लेकर 25 रुपये तक होती है। वहीं तालाब में स्ट्रक्चर तैयार करने में करीब बीस हजार रुपये का खर्च आता है।
स्ट्रक्चर पूरा होने केस्ट्रक्चर पूरा होने के बाद कैसे करे खेती
आपको बता दें मोती की खेती थोड़ी वैज्ञानिक तरीके से की जाती है। इसलिए प्रशिक्षण लेना जरूरी होता है।
ट्रेनिंग भारत सरकार की ओर से कराई जाती है। ट्रेनिंग आपको सीप आवश्यकता होती है। जो किसी भी सरकारी संस्थान या फिर मछुआरों से लिए जा सकते हैं। अब आपको इसे तैयार करने के बारे में बताते हैं।
सबसे पहले इन सीप को खुले पानी में डालना है। फिर 2 से 3 दिन बाद वापस निकाला जाता है। ऐसा करने से सीप के ऊपर का कवच और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाती हैं। अधिक देर तक पानी से बाहर रखने पर इनके खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।
सीप के नरम हो जाने पर मामूली सर्जरी करके सतह पर 2 से 3 एमएम का छेद किया जाता है। और उसमें रेत का एक छोटा सा कण डाला जाता है। इससे सीप को चुभन होने लगती है।
जिससे सीप से एक चिकना पदार्थ निकलता है। अब 2 से 3 सीप को एक नायलॉन के बैग में रखकर तालाब में बांस या किसी पाइप के सहारे छोड़ा जाता है।
इसके बाद सीप से 15 से 20 महीने के बाद मोती तैयार हो जाता है। जिसके कवच को तोड़कर मोती निकाली जाता है।
आपको बता दें सबसे पहले निकलने वाला मोती गोल होता है। लेकिन खेती के दौरान इसका आकार भी बदला जा सकता है।
कैसे होती है कमाई
क्योंकि दुनियाभर के बाजार में डिजाइनर मोती की मांग कई अधिक है। आपको बता दें की एक मोती करीब एक हजार से लेकर दस हजार रुपये किलो तक में बिकते हैं।
सीप की खेती को लेकर इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च के तहत एक नया विंग बनाया है। जिसका नाम भी सीफा रखा गया है। मतलब सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर है।
सीप की खेती का ट्रेनिंग सेंटर भुवनेश्वर में है। जहां से इंसान 15 दिन की ट्रेनिंग ले सकता है। इसके लिए सरकार की ओर से लोन भी दिया जाता है। इतना ही नहीं किसान अपने मोती को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बचकर मोटी कमाई भी कर सकता है।