नई दिल्ली। भारत में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि हो गई है। मरीज तीन दिन पहले ही संयुक्त अरब अमीरत (UAE) से केरल के कोल्लम पहुंचा है। गुरुवार को केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि मरीज में तेज बुखार और शरीर पर छाले जैसे लक्षण देखे गए, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। फिलहाल वह खतरे से बाहर है।
संपर्क में आए सभी लोगों की होगी जांच
जॉर्ज ने बताया कि शख्स विदेश में मंकीपॉक्स के मरीज के संपर्क में था। वहीं, मरीज के संपर्क में आए उसके माता-पिता, टैक्सी ड्राइवर, ऑटो ड्राइवर समेत फ्लाइट में साथ आने वाले 11 यात्रियों की भी जांच की जाएगी। इससे पहले पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला सामने आया था। हालांकि बाद में उसकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
केंद्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन
दुनिया में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए भारत सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को इस बीमारी को लेकर गाइडलाइन जारी किया। मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इसके अलावा लोगों को मृत अथवा जीवित जानवरों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।
गाइडलाइन में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को त्वचा संबंधित रोगों से ग्रसित सहति बीमार लोगों के संपर्क में बचना चाहिए।
यात्रियों को चूहे, गिलहरी, बंदर सहित जीवित अथवा मृत जंगली जानवरों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।
अफ्रीका से जंगली जीवों से बनाए गए उत्पादों (क्रीम, लोशन, पाउडर) का इस्तेमाल करने से बचें। शिकार से प्राप्त मांस को न तो खाएं और न ही बनाएं।
बीमार व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल कपड़े, बेड अथवा चिकित्सा में प्रयोग में लाए गई चीजों के संपर्क में न आएं।
यदि किसी व्यक्ति के शरीर में चकते आए हैं और उसे बुखार है तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए।
मंकीपॉक्स संक्रमितों के लिए अलग अस्पताल होंगे निर्धारित
सरकार ने राज्यों को पॉइंट ऑफ एंट्री यानी यात्रियों के आने की जगहों पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। यहां निगरानी रखने वाली टीम से लेकर डॉक्टर्स, सभी तैनात रहेंगे। इसके अलावा, जिन भी लोगों में लक्षण पाए जाएंगे, उनके संपर्क में आए लोगों की भी जांच की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को मंकीपॉक्स के लिए अलग से अस्पताल निर्धारित करने को कहा है। यहां बीमारी के दौरान मरीजों को आइसोलेट करने और उनके इलाज की सुविधाओं का बंदोबस्त किया जाएगा।
मंकीपॉक्स के मामले 10,000 के पार
Monkeypoxmeter.com के डेटा के मुताबिक, अब तक 73 देशों में 10,884 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से यूरोप में सबसे ज्यादा 8,816 लोग मंकीपॉक्स की चपेट में आए हैं। वहीं, बीमारी से ग्रस्त टॉप 10 देशों में ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा, नीदरलैंड्स, इटली और बेल्जियम शामिल हैं। मंकीपॉक्स से इस साल तीन लोगों की मौत हो चुकी है।
इन अफ्रीकी देशों में आम है यह वायरस
मध्य और पश्चिम अफ्रीका के दूरदराज के हिस्सों में मंकीपॉक्स वायरस सबसे आम है। लेकिन यूरोप और अमेरिका में भी इसके फैलने की खबरें पिछले दिनों आई है। दरअसल, यह स्मॉलपॉक्स की तरह ही एक वायरल इन्फेक्शन है जो चूहों और खासकर बंदरों से इंसानों में फैल सकता है। अगर कोई जानवर इस वायरस से संक्रमित है और इंसान उसके संपर्क में आता है तो संभावना है कि उसे भी मंकीपॉक्स हो जाए।
क्या है मंकीपॉक्स, कैसे होते हैं लक्षण
मंकीपॉक्स देखने में चेचक का बड़ा रूप लगता है, इसमें लगभग लक्षण भी वहीं हैं। हालांकि यह बीमारी आमतौर पर हल्की होती है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो मंकीपॉक्स के लक्षण 6 से 13 दिन में दिखने लगते हैं। इसमें बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी शामिल है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर बड़े-बड़े दाने निकल आते हैं। गंभीर स्थिति में ये दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसका सही इलाज तो अभी नहीं हैं, लेकिन चूंकि यह चेचक का ही बड़ा स्वरूप लगता है, इसलिए चेचक की वैक्सीन को मंकीपॉक्स के खिलाफ असरदार माना जाता है।