बक्सर। कई बार कुदरत भी ऐसे कारनामे दिखाती है जिन पर एक बार भी यकीन नहीं होता। पल भर में किसी की सारी खुशियां छीन लेता है तो अगले ही पल उसकी झोली में अपार खुशियां भर देता है। यह कहानी बिहार के बक्सर जिले के कोरनसराय थाना क्षेत्र का है। कोरानसराय गांव की निवासी मुन्नी देवी का पति 30 साल पहले छीन लिया था और 2 जून की रोटी के लिए भी मोहित कर लिया था। तभी अचानक प्रकृति इतनी मेहरबान हो गई कि न केवल उनका वैवाहिक जीवन वापस आया बल्कि उनकी झोली मे एक बार फिर खुशियों से भर गई।
पान की दुकान से करते थे गुजारा
आज से 30 साल पहले की बात है, जब कोरनसराय निवासी घनश्याम तेली रामावतार तेली गांव के चौक पर मोहरे की दुकान चला रहे थे और बेहतर परवरिश के साथ अपनी पत्नी मुन्नी देवी और तीन बच्चों की देखभाल कर रहे थे। फिर एक दिन अचानक घनश्याम दुकान के लिए घर से निकला लेकिन घर नहीं लौटा। शाम को जब वह घर नहीं लौटा तो तलाशी शुरू की गई लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला। तलाश जारी रही, और समय बीतता गया, जबकि मुन्नी देवी अपने पति के घर लौटने की प्रतीक्षा कर रही थी।
ससुर की मौत के बाद पति ने भी किया श्राद्ध
घर का इकलौता कमाने वाला पति के न होने से धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। मुन्नी देवी की कड़ी मेहनत के बावजूद, वह अपने साथ तीन बच्चों को खिलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं कमा सकी। फिर उसने अपने बड़े बेटे संतोष और बेटी रानी को भरण पोषण के लिए मायके भेज दिया। इसी क्रम में पति के लापता होने के 15 साल बाद एक दिन ससुर रामावतार तेली की भी मौत हो गई। तब मुन्नी देवी, जिन्होंने पड़ोसियों के कहने पर अपने ससुर के दाह संस्कार के साथ अपने पति की वापसी की उम्मीद छोड़ दी थी, अपने पति का भी श्राद्ध कर दिया। मुन्नी देवी विधवा का जीवन यापन कर रही थी। इस दौरान उन्हें सरकार की ओर से विधवा पेंशन का लाभ भी मिल रहा था।
तीन दिन पहले झांसी पुलिस की सूचना से मचा हड़कंप
दरअसल, तीन दिन पहले झांसी पुलिस ने कोरनसराय पुलिस को फोन कर सूचना दी थी कि उन्होंने झांसी के बीरबुआ उरई से मानव तस्करों के सदस्यों को गिरफ्तार किया है और उनके चंगुल में फंसे पांच लोगों को भी मुक्त कराया है। बचाए गए लोगों में से एक खुद को भोजपुर जिले के कोरनसराय निवासी घनश्याम बता रहा है। दरअसल, 30 साल पहले बक्सर भी भोजपुर जिले में शामिल था और घनश्याम को भी यही जानकारी थी। इस सूचना और पुलिस द्वारा भेजी गई तस्वीर के आधार पर कोरनसराय पुलिस ने घनश्याम नाम के शख्स की तलाश शुरू कर दी। इसी क्रम में पुलिस ने घनश्याम के भतीजे पप्पू से संपर्क किया तो उसने बताया कि उसके चाचा घनश्याम की 30 साल पहले मौत हो गई थी।
30 साल बाद अपने पति को देखकर रोने लगी मुन्नी देवी
दरअसल, तब पप्पू का जन्म भी नहीं हुआ था और उन्होंने बताया कि उनके पास क्या जानकारी है। इसके बावजूद कोरनसराय पुलिस ने हार नहीं मानी और मुन्नी देवी से मुलाकात कर उनके पति के बारे में पूरी जानकारी हासिल की। पत्नी ने यह भी बताया कि अगर वह देखती है तो वह निश्चित रूप से इसे अपने पैर पर कट के निशान के आधार के रूप में पहचान लेगी। अगले ही दिन पुलिस मुन्नी देवी को लेकर झांसी के बीरबुआ उरई पहुंची। पति को देखकर मुन्नी देवी ने उसे पहचान लिया और रोने लगी। इसके बाद पुलिस दोनों को लेकर कोरनसराय पहुंची।

ग्रामीणों ने फिर कराई दोनों की शादी
घनश्याम के तीस साल बाद घर लौटने से मुन्नी देवी खुशी से पागल हो गई। ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। दरअसल, घनश्याम को मृत मानकर उनका श्राद्ध संस्कार भी किया गया था। इसलिए दोनों की फिर से शादी करने का फैसला किया गया। पंडित शालिग्राम दुबे ने दोनों का पुनर्विवाह किया और सुहाग का प्रतीक एक नया सिंघोरा भी भगवान को साक्षी मानकर मुन्नी देवी को सौंप दिया गया। इस मौके पर सैकड़ों ग्रामीणों से बिछड़े जोड़े का सुलह कराने वाली कोरानसराय पुलिस भी मौजूद थी।
आधे पेट खाना और नशीले इंजेक्शन देकर करवाते थे काम
मानव तस्करों के चंगुल से छूटे लोगों ने झांसी पुलिस को बताया कि इन सभी को एक विशाल चारदीवारी के अंदर रखा गया था। इन सभी को आधा पेट खाना, कुछ दिन वह भी नहीं दिया, मवेशियों को खिलाने का काम किया जाता था। हर शाम उसे जबरन नशा दिया जाता था, जिसके बाद उसे खुद का होश नहीं रहता था। झांसी पुलिस ने बताया कि आधा पेट खाना और लगातार नशे से उबर चुके कई लोग विक्षिप्त हो गए हैं, उनका इलाज किया जा रहा है।